December 27, 2025 9:08 pm

धर्मेंद्र के जीवन की अनसुनी बाते | मरने से पहले की घटनाये , hr news की update

1. बचपन की तंगी और महज़ पाँच रुपये की कमाई

धर्मेंद्र का जन्म पंजाब के लुधियाना ज़िले के एक छोटे से गाँव, नसराली में हुआ था।
बचपन में आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।
वे स्कूल से लौटकर लकड़ियाँ इकट्ठी करते और घर के काम में हाथ बँटाते थे।
एक बार उन्होंने रेलवे क्रॉसिंग के पास मजदूरी करके पहली बार पाँच रुपये कमाए थे।
उन्होंने यह पैसा अपनी माँ की हथेली पर रख दिया और बोले— “माँ, एक दिन मैं आपको गर्व महसूस करवाऊँगा।                                                                  


2. फिल्मों में आने से पहले 18 बार रिजेक्शन, फिर एक चमत्कार

जलंधर से मुंबई पहुँचने के बाद उन्होंने 18 से भी ज़्यादा ऑडिशन दिए, लेकिन हर बार उन्हें यही जवाब मिलता—
“आपमें हीरो वाला आत्मविश्वास नहीं है।”
एक रात वे टूटकर स्टेशन के बेंच पर सो गए।
अगली सुबह उन्हें ‘फिल्मफेयर न्यू टैलेंट हंट’ का फ़ॉर्म मिला, जिसे भरकर भेज दिया।
कहते हैं, यहीं से उनकी किस्मत पलटी और वे पहले राउंड में ही सेलेक्ट हो गए।


3. वह किस्सा जब धर्मेंद्र ने बस से फिल्म सेट तक 14 किलोमीटर पैदल चले

शुरुआती दौर में उनके पास रोज़ बस किराया देने के पैसे भी नहीं होते थे।
एक बार फिल्म के सेट पर देर से पहुँचने का डर था, इसलिए उन्होंने बस नहीं मिलने पर 14 किलोमीटर पैदल चलकर शूटिंग लोकेशन तक का सफ़र तय किया।
यूनिट के लोग तब भी नहीं जानते थे कि वह एक संघर्षरत अभिनेता ऐसा त्याग करके पहुंचा है।


4. शूटिंग सेट पर चाय बनाने से लेकर लाइट्स उठाने तक का काम

कम लोग जानते हैं कि धर्मेंद्र फिल्मों में आने से पहले कई बड़े स्टूडियो में छोटी-मोटी नौकरी भी कर चुके थे।
उन्होंने एक स्टूडियो में कुछ महीनों तक चाय बनाई, लाइट पकड़ी और कैमरा असिस्टेंट्स की मदद की।
उनका मानना था—
“जो भी करो, मन से करो… एक दिन वही मेहनत काम आएगी।”


5. शोले में वीरू चुनने का किस्सा और छिपी चुनौती

जब धर्मेंद्र वीरू का रोल कर रहे थे, तब उन्हें मज़ाक का बेहद शौक था।
लेकिन कम लोग जानते हैं कि फिल्म की शूटिंग के महीनों दौरान वे गंभीर पीठ दर्द से जूझ रहे थे।
रोमांटिक और कॉमिक सीन के पीछे वे कई बार दवा खाकर सेट पर आते थे।
फिर भी कैमरे के सामने उनकी मुस्कान कभी फीकी नहीं पड़ी।


6. अपनी पहली कार को 27 बार धोया, क्योंकि…

सफलता मिलने के बाद धर्मेंद्र ने अपनी पहली कार खरीदी।
शायद दुनिया में कम ही लोग होंगे जो अपनी कार को 27 बार धोएँ, जैसा उन्होंने पहले दिन किया।
उन्होंने कार की खिड़की पर हाथ फेरते हुए कहा था—
“ये मेरी मेहनत की चमक है… इसे धुँधला नहीं होने दूँगा।”


7. धरमपाजी का रोमांटिक दिल — सेट पर भेजे जाने वाले गुप्त फूल

1970 के दशक में उनकी कई फिल्मों की को-एक्ट्रेसेज़ ने बाद में बताया कि धर्मेंद्र हर सुबह यूनिट के मेकअप रूम में ताज़े फूल भेजते थे—
लेकिन बिना नाम लिखे।
जब पूछा गया, तो उन्होंने मुस्कुराकर कहा—
“किसी के चेहरे पर मुस्कान लाना भी एक कला है।”


8. जान जोखिम में डालकर किया गया स्टंट, जिसे आज भी याद किया जाता है

आया सावन झूम के” फिल्म की शूटिंग के दौरान एक ऊँची चट्टान से कूदने का दृश्य था।
टीम ने उन्हें कई बार स्टंट डबल लेने की सलाह दी, लेकिन धर्मेंद्र ने मना कर दिया।
कूदते समय उनका घुटना बुरी तरह चोटिल हो गया, लेकिन उन्होंने सीन दोबारा किया ताकि फिल्म में कमी न रह जाए।
यूनिट के लोगों ने बाद में कहा—
“उनमें हीरो सिर्फ पर्दे पर नहीं, असल जिंदगी में भी था।”


9. सुपरस्टार होते हुए भी खेतों में हल चलाया

सफलता के चरम पर भी धर्मेंद्र अपने गाँव की मिट्टी से दूर नहीं हो पाए।
वे छुट्टियों में खेतों में काम करने जाते, हल चलाते और पगडंडियों पर नंगे पैर टहलते।
जब लोगों ने पूछा कि यह क्यों करते हैं, तो उन्होंने कहा—
“यह मिट्टी मुझे ताकत देती है… इसी ने मुझे बनाया है।”


10. कर्मचारियों को परिवार समझने की अनोखी कहानी

एक बार उनके एक ड्राइवर के घर में आर्थिक संकट आया।
बिना बताए धर्मेंद्र ने उसके बच्चों की स्कूल फीस भरी और दवाईयों के पैसे भी दिए।
यह बात वर्षों तक किसी को पता नहीं चली, क्योंकि उन्होंने कहा—
“नेकी का शोर मत करो… बस चुपचाप करते रहो।”


11. कैमरे के पीछे का भावुक मन — आखिरी शॉट के बाद चुपचाप रोना

कई फिल्मों की शूटिंग के अंतिम दिन धर्मेंद्र भावुक हो जाते थे।
एक यूनिट सदस्य ने बताया कि वे अपनी किसी हिट फिल्म के आखिरी सीन के बाद चुपचाप एक कोने में बैठकर रोए थे और कहा—
“मैं हर किरदार को अपने अन्दर जीता हूँ… उससे अलग होना आसान नहीं होता।”


12. सितारा बनने के बाद भी बदलने से इनकार

धर्मेंद्र के बारे में लोग आज भी कहते हैं कि वे स्टारडम के बावजूद अपनी जड़ों से जुड़े रहे।
एक बार किसी इवेंट में उनसे कहा गया कि वे अंग्रेज़ी में बोलें, क्योंकि इंटरनेशनल मीडिया मौजूद है।
उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया—
“मैं देसी हूँ और देसी ही रहूँगा… मेरी पहचान मेरी मातृभाषा है।”

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