गुरुग्राम, फरीदाबाद, यमुनानगर और करनाल में केस; बाकी जिलों में अलर्ट का इंतज़ार कर रहे अस्पताल
हरियाणा में एक बार फिर कोरोना संक्रमण ने दस्तक दे दी है। बीते 72 घंटे में राज्य के चार प्रमुख जिलों – गुरुग्राम, फरीदाबाद, यमुनानगर और करनाल – से कोरोना के 9 नए मरीज सामने आए हैं। इस बार संक्रमण का दायरा सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि महिलाएं, युवा, और पेशेवर वर्ग भी इसकी चपेट में आया है।
इन मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भले ही पिछले कुछ महीनों से कोरोना को लेकर लोगों में बेफिक्री का माहौल था, लेकिन वायरस अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। और राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं इस नई चुनौती का किस हद तक सामना करने को तैयार हैं – यह सवाल आज हरियाणा की जनता के सामने है।
संक्रमित कौन हैं? संक्रमण कैसे फैला?
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जिन 9 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है, उनमें शामिल हैं:
एक महिला डॉक्टर – जो एक निजी क्लिनिक में कार्यरत थीं और रोजाना दर्जनों मरीजों से मिलती थीं।
एक सॉफ्टवेयर डेवलपर – जो हाल ही में दिल्ली से लौटे हैं और वर्क फ्रॉम होम से पहले एक ऑफिस मीटिंग में शामिल हुए थे।
एक बैंक मैनेजर – जिनकी प्रतिदिन आम लोगों से बातचीत होती है।
इसके अलावा दो बुजुर्ग और तीन युवा शामिल हैं, जिनमें से कुछ ने हाल ही में पंजाब और मुंबई की यात्रा की थी।
विशेष बात यह है कि इन सभी में से किसी की भी इंटरनेशनल ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। यानी संक्रमण का स्रोत राज्य या देश के भीतर ही कहीं है, जो “लोकल ट्रांसमिशन” का स्पष्ट संकेत है।
2020 की भयावह लहर की यादें ताजा
हरियाणा में साल 2020-21 के दौरान आई कोरोना लहर बेहद भयानक थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार:
10 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे।
10 हजार से ज्यादा मौतें दर्ज की गई थीं।
गुरुग्राम, फरीदाबाद, पानीपत और हिसार जैसे जिलों में अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई थी।
उस दौर में कोरोना एक नई और अनजानी बीमारी थी। वैक्सीन नहीं थी, वायरस के व्यवहार की पूरी जानकारी नहीं थी। लेकिन आज जब टीकाकरण पूरा हो चुका है और लोगों में हर्ड इम्यूनिटी आ चुकी है, तो यह सवाल उठना लाजमी है – फिर संक्रमण क्यों?
क्या वैक्सीन बेअसर हो रही है?
विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस समय के साथ म्यूटेट होता है, यानी उसमें बदलाव आते हैं। WHO और ICMR की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में अब भी कई स्लो-स्प्रेडिंग वैरिएंट मौजूद हैं जो वैक्सीन की सुरक्षा को आंशिक रूप से भेद सकते हैं।
हालांकि, वैक्सीन लेने वालों में लक्षण हल्के होते हैं और मृत्यु दर बेहद कम हो जाती है, लेकिन संक्रमण की चेन नहीं टूटती।
स्वास्थ्य व्यवस्था: कितना तैयार है हरियाणा?
मीडिया द्वारा कराए गए 22 जिलों के अस्पतालों के ऑडिट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए:
जिन जिलों में केस मिले हैं, वहां अस्पतालों ने कोविड काउंटर दोबारा शुरू किए हैं, आइसोलेशन वार्ड एक्टिव किए गए हैं और संदिग्ध मरीजों की पहचान का काम चल रहा है।
लेकिन बाकी 18 जिलों में कोविड जांच, क्वारंटीन फैसिलिटी और जागरूकता अभियान पूर्णतः ठप हैं।
टेस्टिंग किट्स की उपलब्धता भी सीमित है, और कई अस्पतालों में पुराने स्टॉक की वैधता समाप्त हो चुकी है।
कई जिलों में स्टाफ अभी भी मुख्यालय से लिखित आदेश का इंतजार कर रहा है।
यह स्थिति तब है जब केंद्र सरकार ने पहले ही राज्यों को संभावित चौथी लहर के लिए अलर्ट किया था और मॉक ड्रिल्स की सलाह दी थी।
सरकारी प्रतिक्रिया: देर से चेतना?
हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “अभी स्थिति नियंत्रण में है। संक्रमितों की संख्या कम है और अधिकतर में लक्षण बेहद हल्के हैं। सभी मरीज होम आइसोलेशन में हैं।”
लेकिन जब उनसे बाकी जिलों की तैयारी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा – “जैसे ही केस बढ़ेंगे, हम टेस्टिंग और ट्रैकिंग तेज कर देंगे।” सवाल यह है कि क्या संक्रमण फैलने के बाद तैयारियां शुरू करना सही रणनीति है?
विशेषज्ञों की राय: अभी से उठाने होंगे कदम
दिल्ली AIIMS के वायरोलॉजिस्ट डॉ. विजय शर्मा कहते हैं:
“हरियाणा जैसे औद्योगिक राज्य में लोगों की आवाजाही ज्यादा होती है। लोकल ट्रांसमिशन को रोकने के लिए टेस्टिंग, कांटेक्ट ट्रेसिंग और पब्लिक अवेयरनेस जरूरी है। सिर्फ मरीजों का इलाज काफी नहीं होगा।”
जनता को क्या करना चाहिए?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ और सरकार की एडवाइजरी के मुताबिक, लोगों को निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
1. सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनें, खासकर भीड़भाड़ वाली जगहों पर।
2. हाथों की सफाई और सैनिटाइजर का उपयोग नियमित रूप से करें।
3. बुखार, खांसी या जुकाम के लक्षण दिखें तो तुरंत जांच करवाएं।
4. बूस्टर डोज अगर नहीं ली है, तो तुरंत लगवाएं।
5. बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों का विशेष ध्यान रखें।
6. फेक न्यूज से बचें, और सिर्फ स्वास्थ्य विभाग या अधिकृत पोर्टल्स की जानकारी पर भरोसा करें।
निष्कर्ष: सतर्कता ही बचाव है
हरियाणा में भले ही फिलहाल केसों की संख्या कम है, लेकिन यह संक्रमण की संभावित शुरुआत हो सकती है। राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग और जनता – तीनों को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी। पिछली लहर से मिले सबक को नजरअंदाज करना एक खतरनाक भूल हो सकती है।
यह समय है सावधानी, सक्रियता और सामूहिक जिम्मेदारी का। यदि अभी कदम नहीं उठाए गए, तो हरियाणा एक बार फिर उसी मुसीबत का सामना कर सकता है जिससे निकलने में पूरे देश को दो साल लग गए थे।
